tag:blogger.com,1999:blog-51169419466954943402024-03-13T18:17:17.319+05:30GaurTalabA best blog for moral and social educationHBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.comBlogger240125tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-72405805500327930312014-07-21T09:55:00.000+05:302014-07-21T09:55:35.534+05:30बड़े अवसर के छोटे इशारे
लखनऊ में छोटी उम्र में ही माता-पिता को खोने वाली पंकज भदौरिया ने भविष्य संवारने के लिए स्नातक पूरा होते ही सीएमएस अलीगंज शाखा में अंग्रेजी शिक्षिका की नौकरी कर ली, उन्हें हमेशा से तरह-तरह के व्यंजन पकाने का शौक था पर एक टेलीविजन शो ने उनके जिंदगी को बदलने की राह दिखाई और एक इशारा दिया उस शौक को अपना कैरियर बनाने का जिसको वो हमेशा चाहती थी पर हो न सका .
उन्होंने इस शो के लिए अपने स्कुल सेHBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-83762177388890346182014-07-19T16:21:00.000+05:302014-07-19T16:21:20.464+05:30 उम्मीद तो रखे पर दबाव ना डालें !
किसी शहर में एक शादी-शुदा महिला थी और उसकी 16 साल की एक बच्ची भी थी. उसके पति दूसरे शहर में नौकरी करते थे. उसने अपनी बेटी से बड़ी उम्मीदें लगा रखी थी और बेटी की छोटी सी गलती भी उससे बर्दाश्त नहीं होती थी.
जब बेटी की परीक्षाएं चल रही थी तब माँ ने उसे चेतावनी दी थी उसे मेरिट लिस्ट में आना ही हैं. मेरिट से कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा, यहाँ तक की प्रथम श्रेणी भी फेल होने की तरह मानी जाएगी. लड़की HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-76072119329373499642014-07-12T17:17:00.000+05:302014-07-12T17:19:09.563+05:30जरा जोड़ना सीखिए !
एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया । वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा जो सिलाई में व्यस्त थे ।
उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।
जब उसने इसी क्रिया HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-6188088994478636512011-11-26T14:59:00.000+05:302011-11-26T14:59:42.463+05:30जियो तो ऐसे जियो ,जैसे हर दिन आखरी हो
"जब मैं 17 साल का था तो मैंने पढ़ा था जो कुछ ऐसा था ,' अगर आप हर दिन को इस तरह जिए कि मानो वह आपका आखिरी दिन है तो एक दिन आप बिलकुल सही जगह होगे .'
इस वाक्य ने मुझ पर गहरा प्रभाव डाला और उसके बाद से यह मेरा नियम हो गया कि मैं हर दिन अपना चेहरा आईने में देखता हूँ और अपने आप से पूंछता हूँ ,अगर आज मेरी जिंदगी का आखरी दिन हो तो क्या मैं वह करना चाहूँगा जो मैं आज करने वाला हूँ और HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-5342358770618632862011-11-19T12:02:00.002+05:302011-11-19T12:04:05.507+05:30केंटुकी फ्राईड चिकेन40 साल के उम्र कोर्बिन,केंटुकी से एक सर्विस स्टेशन पर कुछ यात्रियों के लिए खाना बनाना शुरू किया उस समय उनके पास अपना कोई रेस्टुरेंट नहीं था इसलिए उनको अपना चिकेन डिश आस-पास के घरों में जाकर पहुचना पड़ता था .धीरे-धीरे लोकप्रियता बढ़ी और 142 सीट वाले रेस्टुरेंट में तब्दील हुआ जिसका नाम "सांडर्स कैफे" था , और वो भी ठीक दो साल के बाद आग की वजह से जल कर खाक हो गया.पर हार नहीं माना जुलाईHBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-80052664132865000212011-08-07T12:03:00.001+05:302011-08-07T12:05:18.339+05:30अपने ककून से संघर्ष
एक राहगीर को सड़क किनारे किसी झाड़ पर एक तितली का अधखुला कोकून(यह एक खोल होता है जिसमें से तितली का जन्म होता है ) दिखा ।वहां बैठकर कुछ घंटे उस तितली को देखता रहा जो छोटे से छिद्र से बहार निकलने के लिए जी-तोड़ कोशिश किये जा रही थी. पर उससे बाहर निकलते नहीं बन रहा था। ऐसा लग रहा था कि तितली का उससे बाहर निकलना सम्भव नहीं है।
उस आदमी ने सोचा कि तितली की मदद कीHBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-45428641700575468672011-01-22T11:54:00.001+05:302011-01-22T11:56:17.668+05:30खुद के बारे में शंका29 साल के अलैग्जेंडर ग्राहम बेल ने 1876 में टेलीफ़ोन बनाया और उसका पेटेंट करवाया था और उनकी इस नयी खोज की मांग भी बहुत थी. पैसे का आभाव था इसलिए उन्हें किसी बड़ी कम्पनी की जरूरत थी .
उन दिनों 'वेस्टर्न यूनियन' एक नामी कंपनी हुआ करती थी .बेल उस कंपनी के पास इस अनोखे अविष्कार को लेकर पहुंचे उन्हें इस कंपनी से काफी उम्मीदे थी.वो कंपनी के पास गए HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-64143548900896689722010-11-22T17:16:00.000+05:302010-11-22T17:16:19.102+05:30संबंधों की शक्ति"महानता के बीज हम सभी के अंदर छुपे होते हैं। जिन्हें हम व्यवसाय शुरू करने से लेकर नई पीढ़ी के नेताओं के निर्माण में उपयोग करते हैं। इन्हीं बीजों को तलाश कर उन्हें विकसित करने का नाम जिंदगी है। मैं जानता हूं यह संभव है, क्योंकि मैं इसका जीता जागता उदाहरण हूं।मैं लोहे के कारखाने में काम करने वाले पिता का बेटा हूं। मेरी मां सफाई का काम करती थीं। मेरे पिता जब घर वापस आते तो उनके हाथ मैले और होते थे। HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-86988633568182758532010-10-23T11:40:00.001+05:302010-10-23T11:41:44.953+05:30जरा जोड़ कर देखोपिकासो एक अदभुत चित्रकार था .एक अमेरिकी करोडपति ने पिकासो को अपनी तस्वीर बनाने को दी .दाम पहले तय नहीं हुआ था उसकी तस्वीर दो साल में बनी .वह करोडपति इस बीच बार-बार पुछवाता रहा कि तस्वीर बनी की नहीं.पिकासो खबर भिजवाता कि थोडा धैर्य रखिये,भगवान भी आपको बनाते है तो नौ महीने लग जाते है फिर मैं तो साधारण मनुष्य हूँ दुबारा आपको बना रहा हूँ दो-तीन साल लग सकते है.
दो वर्ष के बाद पिकासो ने खबर भिजवाया कि HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-85530815589400828742010-10-05T12:07:00.001+05:302010-10-05T12:08:12.774+05:30मन की झीलएक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कही जा रहे थे ,उनके प्रिये शिष्य आनंद ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा -' भगवान! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती ,कोई ऐसा मार्ग बताये की जीवन में सदा शांति का अहसास हो .
बुद्ध आनंद की प्रश्न सुनकर मुस्कुराते हुए बोले,' तुम्हे इसका जबाब आवश्य देगे किन्तु अभी हमे प्यास लगी है पहले थोडा जल पी ले .क्या हमारे लिए थोडा जल लेकर आओगे?
बुद्ध काHBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-40915835236783829952010-09-28T10:58:00.004+05:302010-09-30T20:51:25.438+05:30सही मूल्यों की सम्पतिसफलता को हासिल करने के लिए बुद्धिमत्ता और और कड़ी मेहनत दोनों ही जरुरी तत्व है ,लेकिन भाग्य और किस्मत की अपनी निश्चित भूमिका है .केवल समझदार या बुद्धिमान होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सही समय पर, सही जगह पर होना महत्वपूर्ण होता है . भाग्य के साथ सही मूल्यों का तालमेल बेहतर भविष्य की पुष्टि करता है. वास्तविकता में जिन्दगी में सही मूल्यों की सम्पति आपके पास होना बेहद HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-39321026100683717722010-09-23T10:42:00.001+05:302010-09-23T10:44:07.259+05:30हर तरफ से सीखिएएक फकीर से किसी ने पूछा कि उसका गुरु कौन है ? तो पूछने वाला बहुत हैरान हुआ जब उसने बताया कि उसका गुरु एक चोर है सबसे पहले जिससे कुछ सिखा वो चोर था.
फकीर ने बताया, मैं एक गाँव में गया . आधी रात हो चुकी थी, दरवाजे सभी के बंद थे तभी एक आदमी रस्ते पर मिला, उसने कहा अब दरवाजे तो बंद है आप मेरे साथ ही आये और&HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-59142790416622854162010-09-20T20:10:00.001+05:302010-09-20T20:12:28.768+05:30सबसे बड़े सात आश्चर्यएक स्कूल में छात्रों के एक समूह से कहा गया कि वे दुनिया के सात आश्चर्यो की एक सूची बनाये . हालाँकि बच्चो में इस बात को लेकर मतभेद थे पर सबसे ज्यादा लोगो ने इन सात को चुना -
मिश्र के पिरामिड ,ताजमहल ,ग्रेट केन्योन ,पनामा नहर ,एम्पायर स्टेट बिल्डिंग ,चीन की दिवार और सेंट पिटर बेसिलिका .
टीचर ने सबके उत्तर को इकठ्ठा करते हुआ पाया कि एक बच्ची ने अभी तक अपना पर्चा&HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-55746464081082805942010-09-17T07:22:00.000+05:302010-09-17T07:22:44.667+05:30अपने अन्दर खोजियेएक बार एक बूढी औरत अपने झोपडे के बाहर कुछ खोज रही थी। पास-पड़ोस के लोगो ने सोचा ,बूढी औरत है चलो मदद की जाए .
उनलोगों ने पूछा क्या खोजती हो ? उसने कहा, 'मेरी सुई खो गयी है' इस पर लोगो ने सुई खोजना शुरू कर दिया । अब सुई जैसी छोटी चीज, साँझ का समय जब बहुत देर खोजने के बाद भी नही मिला और अँधेरा होने लगा तों एक आदमी ने पूछा,'ऐ! बूढी औरत ये तों बता दे की तेरी सुई खोई कहाँ है ?
तब बूढी औरत ने कहा,' HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-85867424316279431532010-09-14T23:58:00.001+05:302010-09-15T00:00:40.826+05:30मैंने धरती को हिला दिया !सैन फ्रांसिस्को के इलाके में एक विशेष पुनर्वास अस्पताल था जहाँ ग्यारह साल की एंजेला भर्ती थी उसको एक गंभीर बीमारी थी जिससे उसका नर्वस सिस्टम प्रभावित था और इसकी वजह से वह चल नहीं सकती थी.
चिकित्सको को भी उसके ठीक होने का अंदेशा नहीं था उनका अनुमान था कि वो अब जीवन भर व्हीलचेयर में ही रहेगी लेकिन इसके बावजूद उस छोटी लड़की ने हिम्मत नहीं हारी . अस्पताल के पलंग पर लेटकर वह हर व्यक्ति HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-90987644860587074032010-09-09T10:54:00.000+05:302010-09-09T10:54:14.843+05:30अपनी सीमाओं से परेएक घोड़ा सरोवर के किनारे जल पीने जाया करता था । उस सरोवर के किनारे रहने वाली मेढकी को घोडे के खुर में लगी हुई नाल बहुत भायी । घोड़ा जब भी पानी पीने आता, मेढकी उसकी नाल और चाल को ललचायी नज़रों से देखती रहती । नाल की चमकने और खट-खट की पगध्वनि ने उसे बहुत आकर्षित किया । धीरे-धीरे उसका विश्वास हो गया कि नाल की बदौलत ही घोड़ा इतनी अच्छी चाल चलता है ।
अतः एक दिन उसने साहस बटोरकर पूछा -"घोड़े भाई HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-87976957686863595562010-09-06T12:47:00.001+05:302010-09-06T12:48:21.882+05:30ईश्वरलाभ की संपदाएक गांव में एक लकडहारा रहा करता था।वह हर रोज जंगल में जाकर लकडी काटता और उसे बाजार में बेच देता। किन्तु कुछ समय से उसकी आमदनी घटती चली जा रही थी,ऐसी परिस्थिति में उसकी एक संन्यासी से भेंट हुई। लकडहारे ने संन्यासी से विनम्र बिनती की और बोला ''महाराज कृपा करें। मेरी समस्या का कोई उपाय बताइये।''
इसपर उस सन्यासी ने लकडहारे को कहा ''जा आगे जा।''
उस सन्यासी के आदेश पर या तो कहें शब्दों पर HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-89079187437867767212010-09-03T10:21:00.000+05:302010-09-03T10:21:54.313+05:30अक्ल बड़ी या भैसएक आदमी ने जिन्दगी भर कंजूसी की, उसने काम किया, पैसा कमाया, पर ज्यादा से ज्यादा बचाने में जुटा रहा। इस चक्कर में उसने परिवार की बुनियादी जरूरतों में भी खूब काट -छांट की और पर्याप्त धन होते हुए भी उसके बीवी बच्चे अभावो में जीते रहे।
जब उसका अंत समय आया, तो उसने अपनी बीवी को बुलाकर कहा - देखो तुम तो जानती हो कि किसी और चीज़ की तुलना में मुझे अपना पैसा सबसे ज्यादा प्यारा है। इसलिए मै चाहता हूँ कि HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-74671515112425930982010-08-31T10:46:00.001+05:302010-08-31T10:47:46.374+05:30ईश्वर पर भरोसा करोबहुत ही कड़ाके की सर्दी थी । कुछ पर्वतारोहियों का दल एक पर्वत की चोटी पर विजय पाने के लिए निकला। उनमें एक पर्वतारोही ऐसा भी था जो यह चाहता था कि पर्वत के शिखर पर विजय पताका फहराने का श्रेय सिर्फ उसे ही मिले। यह सोचकर वहआधी रात में ही अपने तम्बू से चुपके से निकल पड़ा और अकेले ही उसने पर्वत पर चढ़ने की कोशिश शुरू कर दी । अँधेरे में में, जब हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था, वह शिखर की ओर HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-46121640049517894242010-08-27T12:21:00.000+05:302010-08-27T12:21:49.300+05:30नैसर्गिकता का आलिंगन करो"बर्नार्ड शा ने कही एक बार कहा था कि 'मैं ऐसी सभ्यता का अथवा महानता का क्या करू, जिसमे मुझे किसी चौराहे पर नाचने में शर्म आती हो या प्रतिबन्ध हो. मुझसे अच्छे तो वे आदिवासी लोग है जो कही भी नाच लेते है.' समृद्ध व्यक्ति के पास जीवन की नैसर्गिकता को जीने के लिए कोई समय नहीं है क्योंकि HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-35607875379542242902010-08-25T16:16:00.000+05:302010-08-25T16:16:02.860+05:30स्वयं का सही मूल्यांकनएक बार स्वामी विवेकानन्द रेल में यात्रा कर रहे थे. एक भिखारी ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए उनसे भीख मांगी. पहले स्वामीजी ने कुछ जबाब नहीं दिया , फिर दूसरी बार भिखारी ने कहा, ‘‘श्रीमान्, मैं बहुत गरीब हूं, मेरे पास कुछ भी नहीं है, मुझ पर दया करो.’’
उसके दुबारा भीख मांगने पर स्वामी जी के आंखों से आंसू टपकने लगे. तपाक से सहयात्री ने पूछा, ‘HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-79950402977380491952010-08-23T12:11:00.000+05:302010-08-23T12:11:40.513+05:30विद्वता का अहंकारमहाकवि कालिदास को अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया. उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा.
एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रण पाकर कालिदास अपने घोड़े पर रवाना हुए , चिलचिलाती धूप में लगातार यात्रा से कालिदास को प्यास लग आई जंगल का रास्ता था और दूर तक कुछ दिखाई HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-16803947354228237692010-08-20T10:36:00.003+05:302010-08-20T10:46:07.843+05:30सफल लोग क्या करते है?"जीवन की मंजिले पाने के लिए मजबूत रस्सी चाहिए और इसके लिए जरुरत होती है सही धागों की चुनाव की. जब अन्य खेल रहे होते है तब सफल लोग योजनाओ को बनाने में वयस्त रहते है .जब अन्य सो रहे होते है तब वो पढ़ रहे होते है. जब अन्य सपने देख रहे होते है तब वे तैयारिया कर रहे होते है .जब अन्य स्थगित कर रहे होते है तब वे निश्चित कर रहे होते है .जब अन्य टालमटोल कर रहे होते है तो वेHBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-9683260432314209872010-08-17T11:17:00.002+05:302010-08-17T11:22:46.666+05:30लीक से हटकर5 लाख बैंक से लोन लेकर IIM अहमदाबाद (भारतीय प्रबंधन संसथान ) में एम०बी०एo की पढ़ाई शुरू की और 2007 के बैच में वहां का टॉपर बने और कैम्पस में सारी नौकरियों को ठुकराते हुए पटना में ठेले से घर-घर जाकर सब्जी बेचने का सोचा .
इनके इस निर्णय ने न सिर्फ उनके परिवार को विचलित कर दिया बल्कि दोस्त और रिश्तेदारों ने भी जम कर आलोचना की और मजाक उड़ाया .पर इनके इरादे कुछ और थे .HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-5116941946695494340.post-13639054909721154342010-08-16T08:53:00.000+05:302010-08-16T08:53:36.579+05:30सच्ची वचनबद्धताएक बार एक लम्बी कूद के विजेता से जब किसी ने पूछा कि वह इतनी लम्बी कूद को कैसे पार कर लेता है ? तो उस विजेता ने कहा -" दरअसल पहले मेरा मन उस बाधा को पार करता है ,बाद में मेरा शरीर सिर्फ उसके साथ हो लेता है ."
मन में पैदा होने वाली उत्साह ही सच्ची वचनबद्धता (Commitment) का श्रोत होता है. यह वह चिंगारी है जो हमारे संभावनाओ को उजागर करता है .अगर आप सचमुच वचनबद्ध है तो उस काम के लिए पूरा जीवन समर्पित HBMediahttp://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com6